ओडिशा: पशु को मारने से रोका तो मीट माफिया के गुंडों ने इंजीनियर को पीटा, पत्नी के साथ की छेड़छाड़

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देशभर में गाय की रक्षा के नाम पर लोगों के साथ हिंसा करने को लेकर विवाद गहराया हुआ है। इस बीच ओडिशा में मवेशी को मारने से रोकने पर मीट माफिया के गुंडों ने शख्स की पिटाई की गई और उसकी पत्नी के


साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर कनन नाम के शख्स ने अपनी साथ हुई आपबीती के बारे में बताते हुए कहा कि वह अपनी पत्नी और दो दोस्तों के साथ शुक्रवार को 4 बजे


छंदिली के खेडापोडा गांव घूमने गए थे। वहां उन्होंने गुंडे जैसे दिखने वाले कुछ हथियारबंद लोग पशु को मारते हुए देखा। उन्होंने इस घटना के बारे में पुलिस को जानकारी देने से पहले तस्वीरें ली और


वीडियो बनाया। इस संबंध में उन्होंने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की। हालांकि पुलिस की ओर से कोई भी मदद के लिए मौके पर नहीं पहुंचा।


इंडिया टुडे के मुताबिक कनन ने आगे बताया कि पुलिस और एसपी की ओर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आने पर हमने गुड़े से अपने स्तर पर पूछा। इसके बाद उन्होंने हम पर कुल्हाड़ी और डंडों से हमला


कर दिया, जिससे वह जानवरों को पीट रहे थे। मेरी पत्नी के साथ छेड़छाड़ होने पर मैंने उन लोगों पर हमला किया। उन्होंने मेरा फोन छीन लिया, जिसमें सारी रिकॉर्डिंग मौजूद थी। यह करिश्मा है कि हम


जिंदा बच गए। इस तरह की अराजकता को देखते हुए हम फिर कभी ओडिशा नहीं आएंगे। हमले में घायल हुए कनन का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस संबंध में चंदीली पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया है। हालांकि


अब तक इस मामले में किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है और न ही जानवरों को सीज़ किया गया है।


इंडिया टुडे ने अपने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि हजारों की संख्या में मवेशी काटने के लिए ओडिशा से आंध्र प्रदेश भेजे जाते हैं। यह वही जगह है जहां कनन, उनकी पत्नी और दोस्तों पर हमला हुआ


था। ओडिशा में कानून को हाथ में लेने का यह पहला मामला नहीं है, जिसमें अपराधियों द्वारा इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया हो। पिछले हफ्ते ओडिशा के रायगढ़ जिले में एक पशु कार्यकर्ता ने जानवरों


की तस्करी को लेकर पुलिस को जानकारी दी। जिस समय पुलिस मौके पर पहुंची तब तस्करों ने जानवरों को छिपा दिया था। पशु बरामद नहीं होने पर इस मामले में कोई शिकायत दर्द नहीं की गई थी।


भारत सरकार ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत 2000 से अधिक अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस उनके देश भेजा है। यह अभियान त्रिपुरा, मेघालय और असम में केंद्रित है, जहाँ से घुसपैठियों को वापस भेजना


आसान है। गुजरात ने इसकी शुरुआत की, दिल्ली और हरियाणा ने भी बड़ी संख्या में लोगों को भेजा। पकड़े गए लोगों को सीमा पर एयरफोर्स के विमानों से लाया जाता है और फिर बांग्लादेश भेजा जाता है।