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गलतियों पर सॉरी बोलना सभ्य और शिष्ट होने की निशानी है। लेकिन इसे अपनी आदत बना लेना आपके लिए और लोगों से आपके रिश्तों के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है। अक्सर ऐसा होता है कि जिसे हम प्यार करते
हैं और जिसे खोना नहीं चाहते ऐसे लोग जब नाराज होते हैं तो अपनी गलती न होने पर भी हम सॉरी बोल देते हैं। यह सही नहीं है। इससे आपका आत्मविश्वास कमजोर होता है और आपमें हीन भावना आती है। इसके
अलावा भी बार-बार सॉरी बोलने के कई मनौवैज्ञानिक नुकसान होते हैं। तो चलिए जानते हैं कि क्या हैं वे नुकसान – मनोबल होता है कमजोर – बार-बार अपने आपको दोषी समझने की आदत व्यक्ति के मनोबल को कमज़ोर
बना देती है। इससे हीन भावना जन्म लेती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बचपन में जिन लोगों के साथ बहुत ज्य़ादा सख्ती बरती जाती है या जिनके पैरेंट्स ओवर प्रोटेक्टिव होते हैं बड़े होने के बाद ऐसे
लोगों का आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ जाता है। किसी भी विषय पर निर्णय लेने से पहले ऐसे लोग अपनी प्राथमिकताओं के बजाय दूसरों की प्रतिक्रिया के बारे में ज्य़ादा सोचते हैं। इसी वजह से ये जीवन में कोई
भी जोखिम उठाने को तैयार नहीं होते और हमेशा सुरक्षित रास्ते पर चलना चाहते हैं। रिश्तों के लिए नुकसानदेह होता है – जो लोग अति संवेदनशील होते हैं वे छोटी-छोटी बातों पर घंटों सोचते हैं। किसी
पुरानी बात को याद दिलाकर सामने वाले से माफी मांगते हैं। इससे जो व्यक्ति अच्छे मूड में होता है, उसे भी बहुत झल्लाहट होती है, फिर नाहक संबंध खराब हो जाते हैं। दांपत्य जीवन और प्रेम संबंधों में
भी ये आदतें रिश्ते खराब करने वाली होती हैं। अपनी खुशी का महत्व समझें – अपने आसपास के लोगों को खुश रखने और उनसे प्रशंसा पाने की चाह में ऐसे लोग हमेशा दूसरों के बारे में ही सोच रहे होते हैं।
वक्त बीतने के बाद इनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आता है जब इन्हें यह एहसास होता है कि ‘मैं ही सबके लिए इतना कुछ करता/करती हूं लेकिन किसी को मेरी ज़रा भी परवाह नहीं। इस तरह की नकारात्मक बातें
व्यक्ति को डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी डिसॉर्डर जैसी गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याओं की ओर भी ले जाती है। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने लिए भी थोड़ा वक्त ज़रूर निकालें और अपनी खुशियों के लिए
जीना शुरू करें।