दुनिया भर के स्मारक लिखेंगे महिला सुरक्षा की इबारत

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भारत में नारंगी या केसरिया रंग शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने इस खास रंग को महिला सुरक्षा के नाम कर दिया है। भारतीय संदर्भ में अगर देखें तो महिलाओं के लिए सुरक्षित


माहौल बनाए बिना शौर्य और बलिदान की भाषा निरर्थक है। संयुक्त राष्ट्र की मुहिम के साथ भारत के स्मारक नारंगी रंग से रोशन होकर लैंगिक समानता का संदेश देंगे। महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा को


खत्म करने के लिए वैश्विक कार्रवाई के प्रति अपने समर्थन को रेखांकित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के तहत भारत के ऐतिहासिक इंडिया गेट और दिल्ली मेट्रो समेत दुनियाभर के सैकड़ों स्मारकों


पर रोशनी की जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के ‘आरेंज द वर्ल्ड’ अभियान के तहत इंडिया गेट को नारंगी रंग से रोशन किया जाएगा और दिल्ली मेट्रो की व्यस्त लाइनों पर पैनल बोर्ड पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा को


समाप्त करने संबंधी संदेश लिखे जाएंगे। इस अभियान के तहत परेडों, फुटबाल मैचों, स्कूल परिचर्चाओं के आयोजन के साथ ही सैकड़ों ऐतिहासिक इमारतों पर रोशनी की जाएगी। संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव और


संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी निदेशक फुमजिले मलाम्बो नागुका ने एक बयान में कहा, ‘महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा सर्वाधिक गंभीर और साथ ही सर्वाधिक बर्दाश्त किया जाने वाला मानवाधिकार


उल्लंघन है’। उन्होंने कहा, ‘यह लैंगिक असमानता और भेदभाव का कारण और प्रभाव है। इसका लगातार बने रहना सामाजिक असमानता का स्पष्ट संकेत है और हम इसे बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं’। दुनिया में


महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ हिंसा प्रत्येक तीन में से एक महिला को प्रभावित करती है। इस अभियान में नारंगी रंग महिलाओं के खिलाफ हिंसा मुक्त भविष्य की उम्मीद का प्रतीक है। इसका आयोजन ‘लैंगिक


हिंसा के खिलाफ 16 दिवसीय अभियान’ के तहत बुधवार को ‘महिलाओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय हिंसा समाप्ति दिवस’ से शुरू होकर दस दिसंबर को मानवाधिकार दिवस तक किया जाएगा। इसके तहत नियाग्रा फाल्स


(अमेरिका-कनाडा), यूरोपीय आयोग इमारत (बेल्जियम), यूरोप परिषद इमारत (फ्रांस), लिटिल मरमेड स्टेच्यू कोपेनहेगन (डेनमार्क) पेट्रा के पुरातात्त्विक खंडहर और पैलेस द जस्टिस (कोंगो) को भी नारंगी


रोशनी से सराबोर किया जाएगा।