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यह साल था 1976। इसी साल की शुरुआत में आई राजेश खन्ना की फिल्म ‘महाचोर’ बुरी तरह फ्लॉप रही थी। कुछ साल पहले तक सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना बुरे दौर से गुजर रहे थे। वह एक तरह की कश्मकश
में फंस गए थे। एक तरफ उनके और डिंपल कपाड़िया के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। तो दूसरी तरफ काका का करियर ढलान पर था। एक के बाद एक फिल्में फ्लॉप जा रही थीं।
‘महाचोर’ के ठीक बाद आई ‘बंडलबाज’ भी बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाई। इधर राजेश खन्ना की फिल्में पिट रही थीं, उधर अमिताभ का सितारा बुलंदियों पर था। उनकी एक के बाद एक फिल्में हिट हो रही थीं।
1975 में आई ‘शोले’ ने तो सफलता के नए प्रतिमान गढ़ दिए थे। इस फिल्म ने नए तरह का बाजार और दर्शकों का समूह तैयार किया था। हालांकि राजेश खन्ना को अभी भी अपनी रोमांटिक छवि पर यकीन था।
लगातार 7 फिल्में हुईं फ्लॉप: ‘महाचोर’ और ‘बंडलबाज’ जैसी फिल्मों की नाकामी के बाद राजेश खन्ना कि सारी उम्मीदें शक्ति सामंत की फिल्म ‘महबूबा’ पर टिक गई थीं, क्योंकि शक्ति सामंत के साथ वे 3
सुपरहिट फिल्में दे चुके थे। ऐसे में उन्हें यकीन था कि ‘महबूबा’ दर्शकों को पसंद आएगी। काका ने इस फिल्म के प्रोडक्शन से लेकर पब्लिसिटी तक में पूरी जान झोंक दी। दिन-रात मेहनत की।
यासिर उस्मान राजेश खन्ना की जीवनी ”कुछ तो लोग कहेंगे” में लिखते हैं कि जुलाई 1976 में जब ‘महबूबा’ रिलीज हुई तो शुरुआती हफ्तों में सिनेमाघरों में खूब भीड़ दिखी, हाउसफुल का बोर्ड लगा नजर आया
लेकिन दूसरा हफ्ता बीतते-बीतते भीड़ गायब हो गई। इस तरह राजेश खन्ना की उम्मीदों को भी झटका लग गया। ‘महबूबा’ के बाद राजेश खन्ना की अगली पांच फिल्में भी पूरी तरह फ्लॉप रहीं।
खुद को शराब के नशे में डुबा लिया: राजेश खन्ना धीरे-धीरे टूटते जा रहे थे और अपनी नाकामी से निपटने के लिए खुद को बुरी तरह शराब के नशे में डुबो लिया। यासिर उस्मान लिखते हैं कि राजेश खन्ना के
अंदर जल रही नाकामी की आग को हर शाम की शराब और भी ज्यादा भड़का देती। वे शराब के नशे में तो डूब जाते लेकिन नाकामी का ग़म नहीं मिटता। राजेश खन्ना की नाकामियों के इसी दौर में एक ऐसा वाकया हुआ,
जिससे उनकी पत्नी डिंपल कपाड़िया बुरी तरह डर गईं।
आधी रात जोर-जोर से चीखने लगे काका: दरअसल, एक रात नाकामियों के बोझ तले दबे राजेश खन्ना ने देर तक शराब पी। उस दौर में उनका यही रूटीन था। हर दिन की तरह काका को अकेला छोड़ पत्नी डिंपल और स्टाफ
के लोग सोने चले गए। उस रात बारिश हो रही थी और घुप अंधेरा था। अचानक राजेश खन्ना के जोर-जोर से चीखने और रोने की आवाज आई। राजेश की चीखें सुनकर पत्नी डिंपल और घर का स्टाफ भागते हुए टैरेस पर
पहुंचा और देखा कि काका फूट-फूटकर रो रहे हैं।
समंदर में डूबकर जान देना चाहते थे राजेश खन्ना: यासिर उस्मान के मुताबिक नाकामी के इस दौर में राजेश खन्ना खुदकुशी तक करना चाहते थे। उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में इस बात को कबूला था। बकौल काका
बुरे दौर में डिप्रेशन की हालत में वे सुसाइड करना चाहते थे और समंदर में जान देने की कोशिश की थी लेकिन आखिरी मिनट पर फैसला बदल लिया था। तय किया था कि नाकामी के अंधेरे में नहीं मरेंगे।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव कम हो रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, दोनों देश सैनिकों और सैन्य उपकरणों को कम करने पर विचार कर रहे हैं। पाकिस्तान अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करेगा। सीजफायर के
बाद, दोनों देशों के डीजीएमओ ने बातचीत की और सहमति बनी कि कोई भी गोली नहीं चलाएगा। हालांकि, सेना हाई अलर्ट पर है और सीजफायर उल्लंघन होने पर जवाब देगी।