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मध्य प्रदेश के शहडोल संसदीय सीट से भाजपा की नई सांसद हिमाद्रि सिंह पहली बार संसद पहुंची हैं। हालांकि, 2016 में इसी सीट पर हुए उप चुनाव में तब वो कांग्रेस की प्रत्याशी थीं और चुनाव हार गई थीं
लेकिन तीन साल बाद पार्टी बदलकर वो संसद पहुंचने में कामयाब रही हैं। उनका परिवार कांग्रेसी रहा है। माता राजेश नंदिनी और पिता दलबीर सिंह इसी संसदीय सीट से कांग्रेस के सांसद रहे हैं। 2016 में
भाजपा के सीटिंग सांसद दलपत सिंह परास्ते के निधन के बाद हुए उप चुनाव में हिमाद्रि ने कांग्रेस के टिकट पर शहडोल संसदीय उप चुनाव लड़ा था लेकिन भाजपा के ज्ञान सिंह से चुनाव हार गई थीं। उप चुनाव
हारने के बाद हिमाद्रि सिंह की शादी 2017 में भाजपा नेता नरेंद्र मांडवी से हुई। नरेंद्र मांडवी को 2009 के लोकसभा चुनावों में हिमाद्रि की माता राजेश नंदिनी ने हराया था। इस साल मार्च में
हिमाद्रि सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था, जबकि उनकी प्रतिद्वंदी प्रमिला सिंह ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। कुछ दिनों बाद ही भाजपा ने हिमाद्रि को शहडोल से
उम्मीदवार बना दिया। हिमाद्रि कहती हैं कि जैसे शादी के बाद लड़की का घर बदल जाता है, वैसे ही उनसा घर और पार्टी दोनों बदल गया। उन्होंने कहा कि भले ही वो कांग्रेस से भाजपा में आ गई हों लेकिन
शहडोल के प्रति उनकी वफादारी कभी कम नहीं होगी। उन्होंने चार लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से यहां जीत दर्ज की है। उनका कहना है कि उनके माता-पिता ने शहडोल के लिए विकास की जो योजनाएं शुरू की थीं,
उसे वह आगे बढ़ाएंगी। हिमाद्रि उन युवा सांसदों में शामिल हैं जो 40 साल से कम उम्र के हैं। इनकी उम्र 32 साल है। बता दें कि सांसद बनने के लिए न्यूनतम उम्र 25 साल होनी चाहिए। 17वीं लोकसभा में
25 से 40 की उम्र के कुल 64 सांसद चुनकर पहुंचे हैं जो कुल सदस्यों का 12 फीसदी है।