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रेप के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज कल बहुत सख्त है। इन मामलों पर हालही में कोर्ट ने कहा था कि महिला की गरिमा उसका कभी नष्ट नहीं होने वाला आभूषण है और किसी को भी उसे दूषित करने के बारे
में नहीं सोचना चाहिए। ऐसे मामलों में किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता क्योंकि यह महिला के सम्मान के खिलाफ है जो उसके लिए सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने हालही
में 26 साल पुराने एक केस पर अपना फैसला सुनाया है। दरअसल साल 1993 में वायुसेना के एक फ्लाइट लेफ़्टिनेंट को अपने सहकर्मी की नाबालिग बेटी से शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया
था। लेफ़्टिनेंट ने इस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी जहां अदालत ने उनकी इस हरकत को अपराध बताते हुए उनकी बर्खास्तगी को सही ठहराया है।
26 साल पहले 21 सितंबर 1993 को एक फ्लाइट लेफ़्टिनेंट को अपने सहकर्मी की नाबालिग बेटी से शारीरिक संबंध बनाने का आरोपी पाया गया। जिसके बाद सहकर्मी की शिकायत पर जाँच बैठाई गई। इस जांच की रिपोर्ट
में सामने आया की नाबालिग की स्थिति को देखते हुए इस मामले में आम कोर्ट मार्शल व्यावहारिक नहीं होगा। जिसके बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन वायु सेना प्रमुख ने इस फ्लाइट लेफ़्टिनेंट को
स्थाई तौर पर रिटायर करने की बात कही। लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले में हर पहलु पर गौर करते हुए इट लेफ़्टिनेंट को नौकरी से बर्खास्त करने की बात कही। जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में गया
और उसका फैसला अब आ गया है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा “केंद्र सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था कि वायु सेना प्रमुख ने इस
अधिकारी को स्थाई तौर पर रिटायर करने की अनुशंसा की थी।” पीठ ने वायु सेना नियम 1969 के उप नियम 7 और 8 का ज़िक्र करते हुए कहा ” “इस बात में संदेह नहीं है कि केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ता के खिलाफ
अंतिम रूप से कार्रवाई करने से पहले वायु सेना प्रमुख की अनुशंसाओं पर गौर किया था। वायु सेना प्रमुख की अनुशंसा केंद्र सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है और केंद्र सरकार ने जो निर्णय लिया वह पूरी
तरह उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। केंद्र सरकार ने जो कार्रवाई कि है वह ना तो गैरकानूनी है और ना ही मनमाना है।” कोर्ट ने फ्लाइट लेफ़्टिनेंट की विशेष अनुमति याचिका को भी खारिज कर दिया।
निर्जला एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, जो जून 2025 में मनाई जाएगी। यह सबसे कठिन और पुण्यदायी एकादशियों में से एक है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत कथा पढ़ना
अनिवार्य है। कथा के अनुसार, भीमसेन भूख सहन नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्हें वर्ष में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत करने की सलाह दी गई, जिसमें पानी भी नहीं पीना होता।