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दिल्ली मार्बल डीलर्स एसोसिएशन ने सोमवार (19 सितंबर) को कहा कि संगमरमर और उत्खनित चट्टानों (ट्रैवरटाइन ब्लॉक) के आयात की नई सरकारी नीति से एकाधिकारात्मक स्थिति तथा प्रतिबंधात्मक व्यापार
गतिविधियों पर लगाम लगेगा और कारखानों में कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। एक अक्तूबर 2016 से प्रभाव में आने वाली नई नीति के तहत मार्बल और घरों में लगने वाले पत्थर के आयात पर मात्रात्मक
प्रतिबंध, संबंधित प्रशासनिक जटिलताएं तथा प्रतिबंधात्मक आयात लाइसेंसिंग व्यवस्था को समाप्त किया गया है। एसोसिएशन की आयात नीति के चेयरमैन प्रवीण गोयल ने कहा कि इससे कच्चे संगमरमर की चट्टानों
के आयात की अनुचित लाइसेंस व्यवस्था समाप्त होगी और इस कदम से उद्योग में कंपनियों को समान अवसर मिलेगा और रुग्ण इकाइयों को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
संगमरमर ब्लॉक के लिए न्यूनतम आयात कीमत (एमआईपी) को कम कर 200 डॉलर प्रति टन किया गया। एमआईपी से जुड़ी विसंगति को दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है। घरेलू उत्पादकों के हितों को ध्यान में रखते
हुए संगमरमर और अन्य पत्थर के आयात पर मूल सीमा शुल्क एक अक्तूबर से मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया गया है। संगमरमर स्लैब के आयात पर एमआईपी को कम कर 40 डॉलर प्रति वर्ग मीटर कर दिया
गया है। एमआईपी से जुड़ी विसंगतियों को दूर करने के लिए ग्रेनाइट स्लैब के आयात पर एमआईपी (न्यूनतम आयात मूल्य) को कम कर 50 डॉलर प्रति वर्ग मीटर किया गया है। ग्रेनाइट स्लैब के आयात पर मूल सीमा
शुल्क को भी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
शशि थरूर ने इस सवाल के जवाब में कहा कि हमारे मन में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के प्रति प्रेम है, हम अमेरिका के राष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, हम अपने बारे ये कह सकते हैं कि हमने विशेषकर किसी
को मध्यस्थता करने के लिए नहीं कहा।