यूपी जीत से मनमानी कर सकते हैं नरेन्द्र मोदी: बनाएंगे मनपसंद राष्ट्रपति, खत्म कर सकते हैं सब्सिडी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में उनकी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में अप्रत्याशित जीत हासिल की है। 403 सदस्यों वाले विधान सभा में


भाजपा गठबंधन को 325 सीटें मिली हैं। इनमें से भाजपा ने अकेले 312 सीटें जीती हैं। भाजपा एक तरफ जीत से गदगद है तो दूसरी तरफ अब इस बात को लेकर भी आश्वस्त है कि अब उसे संसद में खासकर उच्च सदन


राज्य सभा में किसी भी मुद्दे पर हार का मुंह नहीं देखना होगा। इसके अलावा भाजपा की यह जीत देशभर में एक अलग संदेश लेकर आई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा की यह जीत कई मायनों में अहम


है।


राष्ट्रपति चुनाव में फायदा मिलेगा: मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल जुलाई में पूरा हो रहा है। लिहाजा, जुलाई में राष्‍ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। यूपी में प्रचंड जीत


हासिल करने वाली भाजपा अब अपने मनचाहे उम्‍मीदवार को राष्ट्रपति बना सकती है। उसके रास्ते में वोट की कमी का रोड़ा खत्म हो चुका है। पसंदीदा राष्ट्रपति बनाने के लिए भाजपा को यूपी में कम से कम 150


सीटें चाहिए थीं लेकिन चुनाव नतीजों में उसे 312 सीटें मिली हैं। यानी अब उसके पास करीब 65000 वोट हैं। सहयोगियों के वोट को मिला दिया जाय तो यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा। राष्ट्रपति इलेक्टोरल कॉलेज


में भाजपा के पास अभी 3.80 लाख वोट हैं। अपने पसंदीदा उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने के लिए भाजपा को 5.49 लाख वोट चाहिए। इसका मतलब हुआ कि उसके पास जरूरत से 1.7 लाख वोट कम थे जो अब


यूपी-उत्तराखंड के अलावा गोवा-मणिपुर चुनावों में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत आसानी से हासिल हो गई है।


राज्यसभा में स्थिति मजबूत होगी, बिल पास कराना आसान होगा: अक्सर संसद के उच्च सदन में नरेंद्र मोदी सरकार को किसी न किसी बिल पर हार का सामना करना पड़ रहा था लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। उत्तर


प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद राज्य सभा में भाजपा की स्थिति अब बेहतर होगी। अगले साल यानी 2018 में यूपी से राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो रही हैं जिनमें से 8 सपा के और एक बसपा की


मायावती और भाजपा के विनय कटियार हैं। एक सदस्य के चयन के लिए कम से कम 34 विधायकों का वोट चाहिए। इस लिहाज से सपा अधिकतम एक सदस्य और भाजपा सभी 10 सीटें आसानी से जीत सकती है। इसी तरह उत्तराखंड


में भी एक सीट खाली हो रही है जिसपर फिलहाल कांग्रेस के सदस्य हैं। मौजूदा स्थिति देखें तो राज्यसभा में भाजपा गठबंधन यानी एनडीए के पास 73 सांसद हैं जबकि यूपीए के पास 71 सांसद हैं। बहुमत का


आंकड़ा 123 है। विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद राज्यसभा में बीजेपी सांसदों की संख्या बढ़ जाएगी।


मोदी सरकार ले सकेगी और कड़े फैसले: नोटबंदी के बावजूद उत्तर प्रदेश में मिले प्रचंड बहुमत के बाद मोदी सरकार अब और कड़े फैसले ले सकेगी। माना जा रहा है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ और कठोर रुख


अख्तियार कर सकती है। इसके अलावा सरकार गैस सब्सिडी खत्म करने और उसका लाभ सीधे तौर पर ग्राहकों को डीबीटी के जरिए सीधे उसके खाते में पहुंचाने के संबंध में  कोई कड़ा फैसला ले सकती है। बैंकों के


बड़े डिफॉल्टर्स पर नकेल कसने और भूमि सुधार के लिए भी कठोर कदम उठा सकती है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण बिल पर कुछ नए संशोधन भी पेश कर सकती है। सरकार को बार-बार इस बिल पर


राज्यसभा में परेशानी उठानी पड़ रही थी। महिलाओं के उत्थान के लिए तीन तलाक को प्रतिबंधित करने से संबंधित कानून मोदी सरकार बना सकती है, इसके साथ ही समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में भी


ठोस कदम उठा सकती है।


गुजरात और हिमाचल चुनाव पर पड़ेगा असर: यूपी चुनावों का असर इस साल के आखिर में होनेवाले गुजरात विधान सभा चुनावों पर भी पड़ेगा। गुजरात में पिछले 17 सालों से लगातार भाजपा की सरकार है और नरेन्द्र


मोदी 13 से ज्यादा साल तक वहां मुख्यमंत्री रहे हैं। उनकी छवि विकास पुरुष के रूप में वहीं बनी है। फिलहाल, गुजरात में भाजपा के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मुश्किलें खड़ी कर रही हैं लेकिन


यूपी चुनाव के नतीजों से गदगद भाजपाई अब मान रहे हैं कि मोदी और शाह की जोड़ी के विजय अभियान का यह सिलसिला गुजरात में भी जारी रहेगा। हालांकि, भाजपा के पटेल वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए अरविंद


केजरीवाल और हार्दिक पटेल बेचैन हैं। कांग्रेस भी वहां नई रोशनी की उम्मीद पाले हुए है। हिमाचल प्रदेश में भी इस साल के आखिर तक चुनाव होने हैं। वहां पहले भी भाजपा की सरकार रह चुकी है। इस वक्त


कांग्रेस के वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री हैं। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। भाजपा की मौजूदा जीत का असर हिमाचल प्रदेश पर पड़ना लाजमी है।


यूपी से सटे राज्यों एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान में असर: हालांकि, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में साल 2018 के अंत तक चुनाव होने हैं और वहां मौजूदा सरकार भी भाजपा की ही है लेकिन माना जा


रहा है कि यूपी-उत्तराखंड में भाजपा की प्रचंड जीत का असर इन राज्यों पर और अधिक रूप से पड़ेगा। यहां भाजपा की जड़ें जनमानस के बीच और गहरी होंगी। अगर 2018 में होने वाले इन राज्यों के विधान सभा


चुनावों में भी भाजपा की लहर बरकरार रहती है तब साल 2019 के लोकसभा चुनावों में उसे आसानी से भुनाया जा सकता है और मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं।


कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में मदद: भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार होता दिख रहा है। इस नजर से देश के राजनीतिक नक्शे पर करीब सब जगह भगवा रंग ही नजर आता है। कांग्रेस की मौजूदगी


बहुत कम राज्यों में रह गई है। पंजाब में उसकी सरकार बनने जा रही है। बिहार में नीतीश सरकार में कांग्रेस साझीदार है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, मिजोरम और पुड्डुच्चेरी में


कांग्रेस की अपनी सरकार है। गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने पर अभी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस लिहाज से देखा जाय तो भाजपा अपने विजय अभियान और कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को सच साबित करती


नजर आ रही है। इनके अलावा आगामी दिल्ली नगर निगम चुनावों में भी भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है।