विशाल की जुबानी, शालिनी की मौत की कहानी

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Meerut : जिंदगी के गमों को अपने सीने में दफन कर हमेशा मंद मुस्कान बिखरने वाली डॉ। शालिनी की मौत पर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। शालिनी की मौत के लिए जिम्मेदार माने जा रहे उनका हमकदम डॉ। विशाल


आर्य बुधवार को पुलिस की गिरफ्त में थे। पूछताछ में विशाल ने कानून के लहजे में तीस अगस्त की रात का सच बयान किया। उन्होंने बताया कि फोन रिसीव न करने पर हुआ विवाद शालिनी को मौत के मुहाने तक ले


गया।


डॉ। विशाल आर्य ने पुलिस हिरासत में बताया कि 30 अगस्त की सुबह रोजाना की तरह डॉ। शालिनी उठीं। बच्चों को सुबह ट्यूशन छोड़ने के लिए बेगमबाग गईं। वहां से करीब साढ़े 11 बजे लौटी। इसी बीच शालिनी को


कॉल की गई तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया, जिस कारण शालिनी से विवाद हो गया। तभी बच्चियों ने कॉल कर अपने नाना-नानी को जानकारी दी। इसी बीच मैं और शालिनी जसवंत राय अस्पताल में मरीज देखने गए।


वहां से लौटने के बाद देखा तो घर पर शालिनी के मम्मी-पापा, बुआ और फूफा मौजूद थे। शालिनी के सामने ही मुझे बुरा-भला कहने लगे, जिस पर उन्हें घर से निकाल दिया गया। शालिनी ने फूफा राज बझेर को यहां


तक कहा कि दंपती के विवाद में आपको ज्यादा बोलने का अधिकार नहीं है। उसके बाद नर्सिग होम में चल रहे निर्माण कार्य के बारे में शालिनी को कहा गया कि कुछ भी कराने से पहले सलाह जरूर लिया करो। आपने


कितना धन खर्च किया है, इसका हिसाब दो। इसके बाद दोनों ने ओपीडी की। मूड खराब हो रहा था सो मिलांज में फिल्म देखने का मन बनाया। शालिनी बच्चों को कार में बैठाकर बाजार घुमा लाई। पौने छह बजे कार


में सवार होकर पल्लवपुरम फेस टू में पारिवारिक मित्र आदेश चढ्ढा के घर पर पहुंचे। उनके साथ ही फैंटम फिल्म देखी और पिज्जा खाया। वहां से करीब साढ़े दस बजे घर लौट आए।


11 बजे कमरे में पहुंचकर नींद लेने की तैयारी थी। तभी शालिनी ने मुझे एलर्जी की दवाई दी। इसके बाद लेट गए। फिर नर्सिग होम में चल रहे निर्माण कार्य का शालिनी हिसाब देने लगी। उन्होंने पांच लाख


रुपये खर्च का हिसाब दिया। इसे लेकर दोनों में कहासुनी हो गई। दोनों बेडरूम पर लेटे थे। तभी करीब 12.45 बजे शालिनी बिस्तर से नीचे गिर गई। देखा तो उससे पहले भी दो बार फ्रेश होने टॉयलेट जा चुकी


थीं। उन्हें दो उल्टी भी हो गई थी। उनकी हालत देखते ही तत्काल पड़ोसी विक्रम को बुलाकर जसवंत राय अस्पताल ले गए। शालिनी ने क्या खाया, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। जसवंत राय अस्पताल में


शालिनी ने खुद स्ट्रेचर मांगा। उपचार चल ही रहा था कि शालिनी के मामा अनिल और बहन शिल्पी के पति ने मुझ पर जानलेवा हमला बोल दिया। तभी वहां से भागकर दिल्ली के मालवीय नगर में अपने दोस्त योगेंद्र


के पास जाकर रहने लगा। उन्होंने कहा कि जब से दिल्ली में ही मौजूद हूं। आगरा और इलाहाबाद जाने की बात झूठी है।


डाक्टर विशाल आर्य पूरी तरह से गमजदा दिखाई दे रहे थे। लंबी दाढ़ी वाले चेहरे पर अपराधबोध साफ झलक रहा था। पुलिस के सामने पूछताछ में आंखों से आंसू आने लगे। तभी बोले कि बेटी वर्णिका और वनिता के


लिए जिंदा रहना चाहता हू। मैंने शालिनी को नहीं मारा है। शालिनी की मौत के बाद अब दोनों बेटियों का भविष्य संवारना चाहता हूं।


महिला शक्ति नारी जागरण विकास संस्था, महाराणा प्रताप सेवा संस्थान व मानसी संस्था के पदाधिकारियों के साथ बुधवार दोपहर को डॉ। शालिनी आर्या के परिजन कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने मां वीना आर्य की


गिरफ्तारी की मांग को लेकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। इसके बाद एएसडीएम रामगोपाल को ज्ञापन दिया। परिजनों ने चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे में डॉ। विशाल की मां वीना आर्या की गिरफ्तारी नहीं हुई तो


वह बच्चा पार्क स्थित महाराणा प्रताप की प्रतिमा के नीचे अब अनशन पर बैठ जाएंगे। प्रदर्शन तथा ज्ञापन देने वालों में डॉ। शालिनी आर्या की मां प्रेम कौर, बहन शिल्पी गुप्ता, बेटी वर्णिका, निखिता,


मानसी संस्था की अध्यक्ष साधना श्रीवास्तव, लक्ष्मी वर्मा, रमा गुप्ता, पूजा चड्ढा, मंजू गर्ग, ममता शर्मा, आशा शर्मा, कमला व लज्जा यादव, भाजपा नेता डॉ। चरण सिंह लिसाड़ी व महाराणा प्रताप सेवा


संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष दुष्यंत सिंह राघव तथा मेरठ कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष दुष्यंत तोमर आदि शामिल रहे।