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- स्टेशन परिसर में पैसेंजर्स को नहीं नसीब हो रहा है पीने का पानी - टूट चुकी हैं टोटियां, कई साल6 से नहीं हुई वर्कशॉप में लगी टंकी की सफाई - रोडवेज प्रशासन की उदासीनता की वजह से नहीं शुरू हो
सका आरओ प्लांट GORAKHPUR: टोटियां सूखी हुई। टोटियों की जगह पानी रोकने के लिए लगे कैप। एक बोरिंग और वहां से गिरता हुआ गंदा पानी। वर्कशॉप में बरसों पहले बनी पानी की टंकी, जिसकी सालों से सफाई
नहीं हो पाई है। यह नजारा कहीं और का नहीं, बल्कि गोरखपुर बस स्टेशन का है, जहां रोजाना हजारों पैसेंजर्स अपने डेस्टिनेशन के लिए रवाना होते हैं और बसों के इंतजार में अपनी हलक को तर करने के लिए
यहीं का पानी इस्तेमाल करते हैं। एक-आध तो पैसे खर्च कर अपनी प्यास बुझा लेते हैं, जबकि काफी लोगों को इसी गंदे पानी से काम चलाना पड़ रहा है। सब कुछ जानने के बाद भी जिम्मेदारों का नजर-ए-करम यहां
नहीं हो सका है, जिसकी वजह से पैसेंजर्स स्टेशन से बीमारी का परवाना साथ लेकर घर लौट रहे हैं। वॉटर कूलर बंद, टोटियां ही सहारा गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन स्थित वर्कशॉप में बना पानी का टंकी की
पिछले दस साल से सफाई नहीं हुई हैं। इतना ही नहीं टंकी तक जाने वाली सभी सीढि़यां टूट चुकी है। इसकी वजह से अगर कोई सफाई की प्लानिंग करे भी तो कैस? इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोजवेज के पानी
से प्यास बुझाने वाले पैसेंजर्स किस तरह का पानी इस्तेमाल कर रहे हैं। टंकी की सफाई न होने से संक्रमण का खतरा बना हुआ है। हर रोज बस स्टेशन पर करीब दस से 12 हजार पैसेंजर्स सफर कर अपने गंतव्य तक
आते-जाते हैं। आलम यह है कि वाटर कूलर बंद पड़ा है, वहीं टोटियां टूट चुकी हैं और यात्री सुविधा के लिए बनाया गया आरो प्लांट डिब्बा बन कर रह गया है। दो लाख का टेंडर, नहीं मिला सुविधा -
पैसेंजर्स को एक रुपए में एक लीटर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वाटर कूलर लगाया गया था। - रोडवेज बस स्टेशन पर पिछले साल करीब दो लाख की लागत से आरओ मशीन का टेंडर नोएडा की एक फर्म को दिया
गया। - अफसरों की उदासीनता के चलते आरो प्लांट को सिर्फ डिब्बा बनाकर छोड़ दिया। - आज तक उसमें मशीन तक नहीं लगाई जा सकी। - एक साल बीत जाने के बाद भी पैसेंजर्स के लिए पीने के पानी की व्यवस्था
नहीं की जा सकी है। - लोग पानी खरीदकर पीने के लिए मजबूर हैं। ---------- बस स्टेशन से डेली सफर करते हैं पैसेंजर्स -10-12 हजार गोरखपुर रीजन में बसों की संख्या --763 गोरखपुर डिपो में निगम की
बसें- 89 अनुबंधित बसें--107 एसी बसें--56 राप्तीनगर डिपो में निगम की बसें--88 अनुबंधित बसें--26 एसी बसें--37 बस स्टेशन पर शुद्ध पेयजल की सुविधा नहीं है। मैंने काफी तलाश किया, लेकिन पानी नहीं
मिल सका। मजबूरी में खरीदकर पानी पीना पड़ा है। लक्ष्मण, देवरिया स्टेशन परिसर में गंदगी का अंबार है। इसलिए मजबूरी में प्यास बुझाने के लिए गंदगी से ही होकर गुजरना पड़ता है। संक्रमण का खतरा
बराबर बना रहता है। सिद्दीकी, महराजगंज रोडवेज प्रशासन पैसेंजर्स से सुविधा शुल्क लेता है, लेकिन सुविधा नहीं मुहैया कराते हैं। शुद्ध पेयजल की सुविधा न होने की वजह से मजबूरी में नार्मल पानी पीना
पड़ता है। पंकज, रूद्रपुर स्टेशन परिसर में आरो प्लांट लगाने के लिए पिछले साल ही टेंडर हो चुका था, लेकिन एजेंसी ने अभी तक कार्य पूरा नहीं किया है। इस संबंध में एजेंसी को पत्र लिखा है। जल्द ही
उसे शुरू करा दिया जाएगा। पीके तिवारी, आरएम, रीजन गोरखपुर