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घरों को सजाने के लिए सोफा, कालीन लोग रखते हैं। लेकिन सही देखरेख की कमी से उसमे जमा डस्ट में फंगस पनपते हैं जो अस्थमा पेशेंट के लिए नुकसानदायक है। इसके साथ घरों में एयर कंडीशन भी अस्थमा
पेशेंट का दम घोंट रहा है।
घर में कपड़ों के सुखाने पर नमी से मिलकर धूल के कणों से फंगस बन जाती है। एक्सपर्ट की मानें तो 30 परसेंट से ज्यादा लोगों को घर में नमी की वजह से प्राब्लम होती है।
प्लास्टिक के पर्दों और उनसे बने प्रोडक्ट में पालीविनाइल क्लोराइड के मौजूद होने से फेफड़ों पर असर पड़ता है।
रेग्यूलर सफाई न होने से डस्ट क्लीनर बैग में जमी धूल घर में मौजूद अन्य वस्तुओं के केमिकल्स के साथ डिफरेंट इफेक्ट डालती है।
घर को महकाने के लिए रूम फेशनर्स खूशबू तो ही रहा है साथ ही अस्थमा के मरीजों को कष्ट भी दे रहा है। एक्सपर्ट की मानें तो रूम फेशनर्स में मौजूद एरोम अस्थमा पेशेंट के लिए खतरनाक होता है। घर में
यूज होने वाले गैस एप्लायंस भी अस्थमा पेशेंट के लिए मुसीबत बन रहे हंै। गैस एप्लायंस से निकलने वाली हीट भी प्राब्लम को बढ़ाने में मदद करती है।
अस्थमा के पेशेंट को ये चीजें ज्यादा प्रभावित करती है। डिस्ट्रिक हास्पिटल के डाक्टर शाहनवाज बताते हैं कि कफ के साथ सीने में जकड़न होती है। इसलिए घर में इन चीजों के इस्तेमाल में बेहद ही सावधानी
बरतें। रुम में वेंटीलेशन के लिए जगह बनाई जाए। अस्थमा के पेशेंट पर असर डालने वाली चीजों को दूर रखने की जरूरत है।
अस्थमा में सांस नली या इससे संबंधित हिस्सों में सूजन के कारण फेफड़े में हवा जाने वाले रास्ते में रूकावट आती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। जब फेफड़ों से बाहरी हवा का प्रवाह रुकता है तो
पुरानी हवा फेफड़ों में बंद हो जाती है। इससे फेफड़ों के लिए शरीर को आक्सीजन पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।
ये करें
8. दोपहर में परागकणों की संख्या बढ़ जाती है अत: हो सके तो बाहर काम न करें।