पैसे के अभाव में दम तोड़ रहा 'सोलर पार्क'

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BY: RAVI PAL | Updated Date: Mon, 22 Apr 2019 00:18:09 (IST) -दिसंबर वर्ष 2004 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने किया था उद्घाटन -अब पार्क में विजिट को स्कूल्स व इंस्टीट्यूशंस भी नहीं आते


नजर -तीन साल पहले मदद के लिए केंद्र के पास भेजा था 50 लाख का प्रपोजल देहरादून, उरेडा (उत्तराखंड रिन्वयूवल इनर्जी डेवलेपमेंट एजेंसी) उत्तराखंड का पटेलनगर स्थित स्टेट लेवल एक मात्र ऊर्जा पार्क


पैसे की कमी से खस्ताहाल हो चुका है. हालात ये हैं कि सोलर ऊर्जा से संबंधित सभी इक्विपमेंट जंक खाकर नाम मात्र के रह गए हैं. तीन साल पहले केंद्र से 50 लाख रुपए की डिमांड की गई थी, लेकिन अब तक


पैसा रिलीज नहीं हो पाया है. रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद एक भी फूटी कौड़ी की मदद नहीं मिल पाई है. पार्क के खस्ताहाल होने के कारण पार्क में विजिटर्स दिखने मुश्किल हो गए हैं. अब नहीं मिलती


सोलर एनर्जी की जानकारियां राज्य में जब पहली निर्वाचित सरकार आई, उस वक्त तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने सोलर एनर्जी की बढ़ती डिमांड व सोलर से हो रहे एक्सपेरीमेंट्स को देखते हुए दून के पटेलनगर


में सोलर एनर्जी पार्क की स्थापना की. पार्क शहर के बीचोंबीच स्थित सिंचाई विभाग निर्माण खंड द्वितीय के सहयोग से तैयार किया. इसका उद्घाटन तत्कालीन ऊर्जा राज्यमंत्री अमृता रावत की मौजूदगी में


तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने 21 दिसंबर 2004 को किया था. इसमें केंद्रीय रिन्यूवल एनर्जी मंत्रालय का 91.84 लाख रुपए व राज्य सरकार के 1.27 करोड़ रुपए का सहयोग रहा. 2.3 एकड़ में फैले इस पार्क


में स्टूडेंट्स व यूथ को सोलर एनर्जी के बारे में जानकारियां उपलब्ध करवाने के साथ ही सोलर पावर प्लांट, सोलर टॉय कार, 6 किलोवाट का प्लांट जैसे तमाम रिसर्च व जानकारियां मौजूद कराई गई थी. नहीं हो


पा रहा रिनोवेशन सोलर एनर्जी की स्थापना के बाद कई सालों तक राज्य के पहले व एक मात्र सोलर पार्क पहुंचने वाले विजिटर्स का तांता लगा रहता था. लेकिन, वक्त के साथ सोलर पार्क की स्थिति भी दयनीय


होते रही. गत 15 वर्षो में पार्क के रिनोवेशन के लिए कोई धनराशि खर्च नहीं हुई. नतीजतन, यहां स्थापित किए गए सोलर से संबंधित इक्विपमेंट जंक खा चुके हैं. यही वजह है कि अब यहां न स्कूल्स व


इंस्टीट्यूशंस स्टूडें्स विजिट के लिए पहुंचते और न ही टिकट का काउंटर खुला नजर आता है. हालांकि उरेडा अधिकारियों का कहना है कि अब भी विजिटर्स की आवाजाही रहती है. चीफ प्रोजेक्ट ऑफिसर एके त्यागी


के अनुसार केंद्र व राज्य सरकार से पार्क के रिनोवेशन के लिए धनराशि की डिमांड की गई है. बताया गया है कि पार्क के लिए केंद्र से करीब 50 लाख रुपए की डिमांड वर्ष 2016 में की गई थी. वर्ष 2017 में


रिमाइंडर भेजा गया. लेकिन, अब तक कोई धनराशि स्वीकृत नहीं हो पाई. उरेडा की ओर से प्रयास जारी हैं. अधिकारियों बताते हैं कि सोलर पार्क में एंट्री पर प्रतिबंध नहीं है. प्रमुख बिन्दु -वर्ष 2004


में पार्क की स्थापना. -हर माह 15 हजार की इनकम रही. -पार्क की देखरेख को 3 कर्मी तैनात. -टिकट की सेल से ही कर्मचारियों का वेतन. -पार्क का ऑडिटोरियम सबसे बड़ा कमाई का सोर्स. -अब तक पार्क नॉ लॉश


व नो प्रोफिट में संचालित. यह हैं हालात -सोलर पार्क में 6 केवी की बैटरियां जीर्ण-शीर्ण. -सोलर वाटर हीटर्स पूरी तरह से खराब. -सोलर बैटरियों की स्थिति खस्ताहाल. -एनर्जी जेनरेटर्स हीटर भी खा


चुके हैं जंक. -पानी के तालाब भी टूटकर हुए खराब. -डेमो के लिए तैयार किया गया घराट भी खराब. -सभी सोलर प्लेट भी बदहाल स्थिति में. -सोलर टॉयज की हालत भी खराब.