
- Select a language for the TTS:
- Hindi Female
- Hindi Male
- Tamil Female
- Tamil Male
- Language selected: (auto detect) - HI
Play all audios:
[email protected] DEHRADUN: जिसका आम लोगों के प्रति और राज्य के प्रति समर्पण हो, लगाव हो, जिसको हमारे राज्य की पीड़ा से फर्क पड़ता हो, ऐसे ही कैंडिडेट को इस बार लोकसभा चुनाव में हमारा वोट
पड़ेगा. जो यहां की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम करे, पर्यटन की दिशा में नए अध्याय जोड़े, ऐसे कैंडिडेट के हम साथ हैं. ट्यूजडे को प्रेस क्लब के समीप स्थित उज्ज्वल रेस्टोरेंट में दैनिक
जागरण आई-नेक्स्ट की ओर से आयोजित राजनी-टी में उत्तराखंड फिल्म टेलीविजन एंड रेडियो एसोसिएशन यानी उफतारा के सदस्यों ने अपनी बात कही. बातचीत की शुरुआत पलायन के मुद्दे से हुई उफतारा से जुड़े
लोक-कलाकारों ने अपने अनुभवों के आधार पर स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया. राजनी-टी की शुरुआत पलायन के मुद्दे से हुई. इस मौके पर मिलेनियल्स ने कहा कि पहाड़ का खाली होना बड़ी समस्या बनता जा रहा
है. ऐसे में हम अपनी पुरानी विरासत को कैसे बचा सकेंगे. जब गांव में लोग ही नहीं रहेंगे तो कैसे वहां का विकास होगा. पलायन रोके बिना तो राज्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती. हम अक्सर पहाड़ के
मुद्दों को उठाकर फिल्में बनाते रहे हैं, जिसके माध्यम से यहां मूलभूत सुविधाओं की असलियत भी सबके सामने रखते आए हैं. इसके बावजूद पहाड़ों में कोई खास विकास कार्य नहीं हुए. बड़े मंचों से माला
पहनाकर कैंडिडेट घोषित कर दिए जाते हैं. ये कौन सा तरीका है, जबकि कैंडिडेट ऐसा होना चाहिए जो क्षेत्र से जुड़ा हो, जिसको अपने राज्य की समस्याओं की जानकारी हो और इन समस्याओं के होने पर उसको दर्द
हो, इनके निराकरण के लिए वह समाधान करे. वो दिल्ली नहीं बल्कि उत्तराखंड में रहे. उसमें इतना दम हो कि पार्लियामेंट में अपने राज्य की समस्याओं को उठा सके, सिर्फ मौन साधकर न रहे. साथ ही लोगों को
भी जागरूक होना होगा कि किसी पार्टी विशेष को देखकर वोट न दें बल्कि काम करने वाले और राज्य के प्रति समर्पण रखने वाले कैंडिडेट को वोट दिया जाए. क्योंकि अक्सर वोट पाने के बाद कैंडिडेट बदल जाते
हैं. पहले तक हाथ जोड़ने वाले कैंडिडेट बाद में पहचानते तक नहीं है. ऐसे में हमें कैंडिडेट चुनते हुए बेहद सजग रहने की जरूरत है. चंद्रवीर गायत्री और मनोज इष्टवाल दोनों की बेहतर मुद्दों के लिए
सतमोला दिया गया. कड़क मुद्दा कैंडिडेट ऐसा हो जो कि राज्य की संस्कृति के लिए कार्य करे. पर्यटन के क्षेत्र में योजनाएं बनाएं और राज्य के विकास के लिए कार्य करें. हमारी संस्कृति को देश ही नहीं
विदेश तक भी पहुंचाएं. ताकि लोग उत्तराखंड की संस्कृति देखने के लिए उत्सुक हों और अधिक से अधिक संख्या में यहां तक आएं. चंद्रवीर गायत्री, अध्यक्ष उफतारा मेरी बात जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए
एडि़यां रगड़ते रह जाते हैं. उनको तो टिकट नहीं दिए जाते हैं. लेकिन ऊंची पहुंच वालों को टिकट मिल जाते हैं जो जीतने के साथ ही वीआईपी बन जाते हैं. आम जनता से उन्हें कोई मतलब नहीं रहता है. ऐसे
नेता क्या जनता की परेशानी सुनेंगे और समझेंगे. मनोज ईष्टवाल, निर्माता-निर्देशक, स्थानीय फिल्म्स -- सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ आज के समय में पढ़ाई के लिए पहाड़ छोड़ जा रहा है. हमने भी तो वहीं
से पढ़ाई की है तो फिर आज के बच्चे भला उन स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ सकते हैं. एक मिलेनियल्स ने जब ये बात कही तो वहां बैठे दूसरे लोगों ने उसे काटते हुए कहा कि आज के समय में कॉम्पीटिशन ज्यादा
है. ऐसे में पहाड़ के स्कूलों में सुविधाओं के बिना बच्चे नहीं पढ़ सकते हैं. -- जरूरी नहीं कि हमेशा हम सुविधाओं के पीछे भागें, जहां सुविधाएं हों वहीं बसें. बल्कि कई बार सुविधाओं को भी अपनी ओर
मोड़ना होता है. हां ये जरूरी है कि इसमें पार्लियामेंट मेंबर हमारा साथ दें और राज्य के विकास के लिए कार्य करें. यदि हम सुविधाओं को अपनी ओर ला रहे हैं तो हमारे इस प्रयास में वह साथ रहें. इंदर
सिंह नेगी, क्षेत्र पंचायत सदस्य, कालसी -- हम पहाड़ों के विकास के लिए गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने की मांग करते हैं लेकिन क्या ये सोल्यूशन है कि यदि पहाड़ में राजधानी बन जाए तो राज्य का विकास
हो जाएगा. यदि काम करने वाला कैंडिडेट होगा तो राजधानी कहीं भी हो पहाड़ में या प्लेन में, कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बस विकास कार्य होंगे. मंजू सुंदरियाल, लोक गायिका -- सालों से एक पार्टी में काम
करने वाला नेता महज टिकट के लिए दूसरी पार्टी ज्वाइन कर लेता है. जिसे इतने साल एक पार्टी में रहने के बाद उससे ही प्यार और लगाव नहीं हो पाता है तो वो भला क्या राज्य से प्यार करेगा. ऐसे
कैंडिडेट्स का स्वार्थ साफ दिखता है. रमेश नौडियाल, रंगकर्मी -- जो धार्मिक और पर्यटन विकास की बात करेगा, मेरा वोट उसको ही पड़ेगा. उत्तराखंड में कई धार्मिक स्थल होने के बावजूद हम तीर्थ
यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं. जबकि यहां की खूबसूरती को एक्सप्लोर किया जाए तो अधिकतर लोग ईधर आ सकते हैं. मंदिरों के बारे में प्रचार किया जाए तो भी लोग इधर खीचेंगें. हरीश
कुकरेजा, समाज सेवी - राज्य में लोक कलाकारों के विकास के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है. आज के समय में भी वो जितनी मेहनत करते हैं, उस हिसाब से उनके लिए मेहनताना तय नहीं है. यही वजह है अब
बेहद कम संख्या में यूथ जेनरेशन ये काम कर रही है. यदि इसमें अच्छा स्कोप और पैसा मिलता तो युवाओं का रूझान भी इस ओर बढ़ता. अमन निराला, युवा गायक - आज के समय में वोट बिकते हैं. लोग बेहद कम चीजों
में अपने वोट बेचकर ऐसे कैंडिडेट्स को चुन लेते हैं जो न तो इस लायक होता है और न ही कोई कार्य करा पाता है. इसलिए इस बार पढ़े-लिखे और जमीन से जुड़े कैंडिडेट को अपना वोट दिया जाएगा न कि पार्टी
और पैसे के दबदबे को देखते हुए. ऐसा कैंडिडेट चुना जाएगा जिसे अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास हो. मिलन आजाद, लोक गायक