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BY: SURABHI YADAV | Updated Date: Fri, 20 Apr 2012 18:09:01 (IST) THE GOOD कॉम्पटीशन के नजरिए से देखा जाए तो अगर ये छोटा टैब मार्केट में आता है तो एप्पल को टैबलेट मार्केट में अपनी पोज़िशन
मेंटेन रखने में मदद करेगा. एप्पल ने हमेशा खुद को एज पर रखा है और मार्केट में लीड किया है लेकिन इसके बावाजूद भी पिछले साल ही Amazon.com Inc. ने एप्पल के इस स्ट्रांगहोल्ड को तोड़ने की ट्रिक
ढ़ूंढ़ कर आई पैड के हॉफ साइज़ का टैबलेट किंडल फायर मार्केट में लांच कर दिया जिसका प्राइस $199 था. ये बहुत पॉपुलर हुआ था और इसके करोड़ों पीस बिके. उसके बाद एप्पथल ने किंडल फायर की स्क्रीन के
तिहाई साइज़ वाला $199 का iPod Touch लांच किया पर इसकी स्क्रीन छोटी होने की वजह से जो लोग ई बुक पढ़ने के शौकीन थे, मूवी देखना चाहते थे और गेम्स खेलने वाले थे उन्हे ये खास पसंद नहीं आयायहां
प्राइस ही केवल आई पैड मिनी का प्लस प्वाइंट नहीं है पर इसका छोटा साइज़ भी काफी एडवांटेजियस बताया जा रहा है. 7 इंच का ये आई पैड मिनी आराम से किसी भी हैंडबैग में फिट हो जाएगा. THE BAD छोटे
साइज़ का आई पैड बनाना सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के लिए सरदर्दी का काम है क्योंकि आईपैड के साथ साथ उसके इंटरफेस एडजस्ट करना आसान काम नहीं है. एप्पल के लेट सीईओ स्टीव जॉब्स भी iPad mini के फेवर में
नहीं थे क्योंकि उनका फोकस प्राइस से ज़्यादा क्वालिटी पर था और उनका मानना था कि 7 इंच का टैबलेट क्वालिटी के पैरामीटर्स पर खरा नहीं उतरेगा. जॉब्सि ने इन्हें tweeners नाम दिया था. उनका मानना था
कि छोटे साइज़ की भरपाई तो रिज़ोल्यूजशन बढ़ाकर की जा सकती है पर उससे भी कोई खास असर नहीं पड़ेगा. टच स्क्रीन पर आइकंस को फिज़कली प्लेस करने के लिए कुछ मिनिमम लिमिट ज़रूरी होती है ताकि यूज़र
आराम से बगैर किसी सेटिंग या एलिमेंट्स को डिस्टर्ब किए अपने मन के आइकन को टैप, फ्लिक या पिंच कर सके.