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उन्होंने कहा कि वो इन आरोपों पर हैरान हैं कि विशेष ब्रितानी बलों ने स्वर्ण मंदिर से सिख अलगाववादियों को निकालने के बारे में सलाह दी थी.
एक ब्रितानी सांसद टॉम वाट्सन ने कहा है कि उन्होंने हाल ही में सार्वजनिक किए गए कुछ गोपनीय दस्तावेज़ों को देखा है जिसमें इस अभियान के दौरान ब्रिटेन की भूमिका के बारे में पता चलता है.
लेफ्टिनेंट जनरल बराड़ ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि ये दस्तावेज़ असली हैं.
वहीं ब्रितानी प्रधानमंत्री ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार बराड़ ने कहा, “मैं बहुत हैरान हूं क्योंकि भारत के सैन्य कमांडरों ने ही अभियान की रूपरेखा तैयार की और इसे अंजाम दिया. कोई सवाल ही नहीं है.. हमने कभी
किसी ब्रितानी को यहां आते और ये बताते नहीं देखा कि इस अभियान को कैसे किया जाए.”
माना जाता है कि 1984 में हुई इस कार्रवाई में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को इसी के बदले के तौर पर देखा जाता है.
"मैंने इस अभियान को किया और किसी तरह की मदद नहीं ली गई. ये पहला मौका है जब मैं ऐसी बातें सुन रह हूं. ये किसी न किसी स्तर पर कुछ खुराफात हुई है."
कुलदीप सिंह बराड़ ने साफ किया कि किसी ब्रितानी एजेंसी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी. उनके मुताबिक इस तरह का दावा करने वाले दस्तावेजों की जांच होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, “मैंने इस अभियान को किया और किसी तरह की मदद नहीं ली गई. ये पहला मौका है जब मैं ऐसी बातें सुन रह हूं. ये किसी न किसी स्तर पर कुछ खुराफात हुई है.”
बराड़ पर 2012 में कुछ लोगों ने हमला किया था. इस मामले में पिछले साल तीन सिखों को ब्रिटेन में दोषी करार दिया गया और उन्हें 10 से 14 साल तक की सजाएं मिलीं.