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-कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव का स्वामी, मंगल और शनि जितने बलवान और शुभ ग्रहों के प्रभाव में होंगे, उस व्यक्ति का स्वयं का मकान बनने की उतनी ही अधिक सम्भावना होती है। -कुंडली के चतुर्थ
भाव अथवा चतुर्थेश पर किसी शुभ ग्रह या ग्रहों की दृष्टि हो अथवा चतुर्थ भाव में स्वयं शुभ ग्रह बलवान होकर बैठे हों तो व्यक्ति को अपना मकान अवश्य प्राप्त होता है। -कुंडली में यदि एकादश भाव का
शुभ सम्बन्ध चतुर्थ भाव से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध बन रहा हो तो व्यक्ति के एक से अधिक मकान होते हैं अथवा मकान क्रय-विक्रय ही उसकी आजीविका का साधन होता है। -कुंडली में यदि चतुर्थ, अष्टम और
एकादश भाव का सम्बन्ध बन रहा हो तब जातक को पैतृक संपत्ति मिलती है अथवा ससुराल के सहयोग से मकान प्राप्त होता है। -यदि चतुर्थ भाव के स्वामी या चतुर्थेश का संबंध बारहवें भाव से बन रहा हो तब
व्यक्ति अपने मूल स्थान से कहीं दूर जाकर अपना मकान बनाता है या विदेश में अपना मकान बनाता है। -यदि चतुर्थ भाव या उसके स्वामी पर बुध ग्रह का शुभ प्रभाव हो तो व्यक्ति का मकान व्यापारिक स्थल या
बाज़ार में होता है अथवा वो अपने मकान से व्यापारिक गतिविधियों को संचालित करता है। -यदि कुंडली में चतुर्थ भाव या उसके स्वामी का सम्बन्ध किसी भी प्रकार से नवम भाव या उसके स्वामी से बन रहा हो तो
उस व्यक्ति का मकान सरलता से बन जाता है, इस प्रकार की कुंडली में मकान बनने में विशेषकर पिता का सहयोग होता है। -यदि कुंडली में चतुर्थ स्थान पर शुक्र ग्रह शुभ प्रभाव हो तो ऐसा व्यक्ति अपने मकान
में जब तक रहता है, सुखी रहता है। उसके मकान में सुख सुविधा के अनेक साधन होते हैं। -यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में ही स्थित हो और चतुर्थ भाव पर किसी शुभ
ग्रह की दृष्टि हो एवं वह शुभ ग्रह लग्नेश का मित्र ग्रह हो तो उस व्यक्ति को उत्तम भवन (मकान) और सुख की प्राप्ति होती है।