अमेरिका-यूरोप बैठकर तमाशा देख रहे, ये दोहरा चरित्र क्यों? आतंकवाद पर भारत ने दिखाया आईना

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पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने बेल्जियम में आतंकवाद को लेकर पश्चिमी देशों की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर अमेरिका 12 हजार किलोमीटर दूर जाकर आतंकवादी को पकड़ सकता है,


तो फिर भारत से संयम बरतने को क्यों कहा जाता है? Jagriti Kumari एएनआई, ब्रसेल्सThu, 5 June 2025 12:32 PM Share Follow Us on __ India delegation on Terrorism: भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के


नेतृत्व में कई यूरोपीय देशों की यात्रा के बाद पाक को बेनकाब करने के लिए भेजे गए भारतीय डेलिगेशन का एक दल बुधवार को बेल्जियम में मौजूद था। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने आतंकवाद


पर यूरोपीय देशों की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि यह पश्चिमी देशों का दोहरा चरित्र है कि वह आतंकवाद पर एक्शन की बजाय बाहर बैठकर तमाशा देख रहे हैं। अकबर ने कहा है कि दुनिया में


हर देश के लिए अलग-अलग कानून नहीं हो सकते हैं। बता दें कि इस दल ने इससे पहले ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और डेनमार्क का भी दौरा किया था। प्रतिनिधिमंडल में शामिल अकबर ने आतंकवाद के जवाब में


अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के दोहरे मानदंडों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई पर संयम बरतने को कहा जाता है, जबकि पश्चिमी देशों को इसकी खुल छूट मिलती है। दो तरह के


कानून क्यों हैं? उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, "क्या इस दुनिया में दो कानून हैं? एक अमेरिका और पश्चिम के लिए और दूसरा भारत के लिए? “9/11 के बाद, अमेरिका बदला लेने के लिए 12,000


किलोमीटर दूर, अफगानिस्तान और पाकिस्तान तक गया। उन्होंने पाकिस्तान की जवाबदेही तय की। जनरल मुशर्रफ ने इसे स्वीकार भी किया। लेकिन जब भारत आतंकवाद से लड़ने के लिए सिर्फ 500 किलोमीटर दूर जाकर


कार्रवाई करता है, तो हमें संयम दिखाने के लिए कहा जाता है।” ये भी पढ़ें:भारत से तनाव के बीच UN में बढ़ा पाक का कद, आतंकवाद के खिलाफ बनी कमेटी में भी जगह ये भी पढ़ें:भारत पर उठा सवाल तो भड़क गए


ओवैसी, पाकिस्तानी नेता को पढ़ाया इस्लाम का पाठ ये भी पढ़ें:दुनिया को ज्ञान देने वाला यूरोप रूस से खरीद रहा खास सामान, भारत पर उठाई थी उंगली भारतीयों की जिंदगी भी कीमती- अकबर अकबर ने आगे कहा


कि भारतीयों की जिंदगी भी उतनी ही कीमती है। उन्होंने कहा, “क्या एक भारतीय विधवा के आंसू एक अमेरिकी विधवा के आंसू से कम दर्दनाक हैं? क्या एक भारतीय जीवन कम कीमती है?" पूर्व केंद्रीय


मंत्री ने आगे कहा कि अमेरिका और यूरोप से कठिन प्रश्न पूछे जाएंगे और उन्हें उनके जवाब देने ही होंगे।