बिहार चुनाव से पहले आरक्षण पर बढ़ेगी रार, तेजस्वी का cm नीतीश को खत; आंदोलन की दी चेतावनी

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तेजस्वी यादव ने लिखा है कि बिहार विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर एक नया आरक्षण विधेयक पारित करा कर कुल 85 फीसदी आरक्षण का प्रावधन किया जाए और इसे 9वीं अनूसूची में डालने की अनुशंसा


केंद्र सरकार से की जाए। Nishant Nandan लाइव हिन्दुस्तान, पटनाThu, 5 June 2025 02:30 PM Share Follow Us on __ बिहार में चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है। राजनीतिक दल किसी भी मुद्दे


को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरक्षण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की बात कही है। राज्य में चुनाव से पहले आरक्षण बढ़ाने की मांग पर रार बढ़ सकती


है। तेजस्वी यादव ने नई आरक्षण नीति बनाने और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। इतना ही नहीं तेजस्वी यादव ने ऐसा ना करने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है। तेजस्वी यादव ने इसके लिए


बिहार के सीएम नीतीश कुमार को एक खत भी लिखा है। तेजस्वी यादव ने एक्स पर इस खत को शेयर करते हुए लिखा, ‘महागठबंधन सरकार में बढ़ाई गई 65% आरक्षण सीमा को अपनी ही सरकार में संविधान की 9वीं अनुसूची


में शामिल कराने में घोर विफल रहे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी को पत्र लिखा है। बाक़ी हमने जो करना है वो हम करेंगे। दलित-आदिवासी, पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्गों का वोट लेकर RSS-BJP की पालकी ढो


रहे अवसरवादी सुविधाभोगी नेताओं को भी बिहार की न्यायप्रिय जनता के साथ अच्छे से समझेंगे।’ ये भी पढ़ें:PM मोदी 20 जून को सिवान में, सौगात और रैली साथ-साथ, तीन महीने में तीसरा दौरा तेजस्वी यादव


ने खत में लिखा है कि अगस्त 2022 में सरकार में आने के बाद महागठबंधन सरकार ने साल 2023 में जाति आधारित गणना का काम पूरा किया था। इस गणना के बाद विभिन्न जातियों की जनसंख्या एवं उनकी


सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर विधेयक पारित करा कर राज्य के पिछड़े, अति पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा 65 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10


प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। बिहार में सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण सीमा निर्धारित की गई थी। तेजस्वी यादव ने आगे लिखा है कि इस कानून


को पटना उच्च न्यायलय ने यह कह कर रद्द कर दिया कि सरकारी नौकरियों एवं अध्ययन संस्थानों में नामांकन के लिए जातियों के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व का अध्ययन किए बिना आरक्षण की सीमा को


बढ़ाया गया है। सभी जानते हैं कि इसी आधार पर तमिलनाडु में आरक्षण मिल रहा है। लिहाजा इस परिस्थिति में यह बेहद जरुरी है कि एक सर्वदलीय समिति का गठन कर उपयुक्त अध्ययन करा कर एक हफ्ते के अंदर


प्रतिवेदन समर्पित किया जाए। राजद नेता ने कहा है कि बिहार विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर एक नया आरक्षण विधेयक पारित करा कर कुल 85 फीसदी आरक्षण का प्रावधन किया जाए और इसे 9वीं अनूसूची


में डालने की अनुशंसा केंद्र सरकार से की जाए। इसी के साथ तेजस्वी यादव ने अपने खत में यह भी कहा है कि आरक्षण के नए विधेयक को विधानसभा में पारित करा कर तीन हफ्ते के अंदर केंद्र सरकार को भेजा


जाए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो आंदोलन की शुरुआत कर देंगे। ये भी पढ़ें:नीतीश अगर फिट हैं तो मानहानि केस और कोर्ट में साबित करें;प्रशांत किशोर की चुनौती