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देश में कोरोना वायरस महामारी और बाद में लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों को चालू रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा रोजगार और रियायती राशन के लिए जारी कुल फंड की 45 फीसदी के करीब राशि खर्च हो
गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ये राशि 2020-21 वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में खर्च की गई है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के जरिए 9 करोड़ घरों को अप्रैल और
जुलाई में काम मिला। इसी तरह राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम (NFSA) के तहत रियायती दरों पर 7.20 करोड़ लोगों को अप्रैल-जुलाई के बीच हर महीना राशन दिया गया। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24
मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की जो 25 मार्च से अमल में आ गया और अगले 68 दिनों तक लागू रहा। इस दौरान कोरोना के डर से सभी विनिर्माण और सेवा इकाइयों को बंद रखना आवश्यक समझा गया। इसके बाद
बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया। इनमें अधिकतर दैनिक मजदूर थे जो उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से शहरों में आए थे। CORONAVIRUS LIVE
UPDATES रिपोर्ट के मुताबिक NREGA के तहत जुलाई में 2.42 करोड़ घरों को रोजगार मुहैया कराया गया। ये संख्या जून में 3.89 करोड़ और मई में 3.31 करोड़ थी। इस योजना के तहत ग्रामीण परिवार में एक
सदस्य को साल में कम से कम 100 दिन काम की गारंटी दी जाती है। NREGA की केंद्रीय सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य और राजस्थान में ग्रामीण इलाकों में काम करने सामाजिक कार्यकर्ता निखिल दे ने बताया,
‘जुलाई में इस योजना के तहत काम पाने वाले लोगों की संख्या कम थी क्योंकि प्रवासी श्रमिक वापस शहरों में लौट आए। इसके अलावा मजदूर बुवाई के काम में जुट गए, जो जुलाई में अच्छी बारिश के बाद शुरू हो
जाता है।’ उल्लेखनीय है कि इस साल NREGA के तहत प्रदान किया गया रोजगार साल 2019 और साल 2018 की तुलना में लगभग 50 फीसदी अधिक है। इस अवधि के दौरान 100 दिनों का रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या
2019 से लगभग तीन गुना है। [embedded content]